Communalism in Bihar – Araria, Bhagalpur and Aurangabad. What Next?
ऐसा लगता है कि कुछ लोग बिहार को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकना चाहते हैं और प्रशासन लाचार और मौन है। इन घटनाओं की शुरुआत अररिया के लोकसभा चुनाव से हुई , परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं गए , थोड़ी देर बाद पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे और वीडियो को whats app , twitter , facebook , Youtube पर शेयर किया जाने लगा। उस नकली वीडियो के साथ कैबिनेट मंत्री का कार्यभार संभाल रहे कुछ नेताओं के गैरजिम्मेदाराना बयान आने लगे। जिस तरह के बयान आ रहे थे उससे लग रहा था जैसे अररिया भारत का हिस्सा न हो क्र कोई दुश्मन क्षेत्र हो गया है और वहां के लोगों को सबक सिखाया जाना चाहिए। अररिया की घटना में दो लोगों को नारे लगाने के लिए गिरफ्फ्तार कर के प्रशासन भी अपने पक्षपातपूर्ण एजेंडा पर लग गया , लेकिन मामला JNU के नकली वीडियो वाले मामले की तरह नहीं खींचा और खत्म हो गया। अररिया के प्रकरण में सबसे आश्चर्यजनक बात जो सामने आई वो थी नितीश कुमार की चुप्पी और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलना।

अभी हफ्ते भर भी नहीं बीते थे की भागलपुर की भागलपुर के नाथनगर से साम्प्रदायिक उपद्रव की खबरें आयीं जिसमे अश्विनी चौबे (भाजपा ) के बेटे अर्जित शारश्वत चौबे पर पुलिस के द्वारा इल्जाम लगाया गया है कि उनकी संलिप्तता है। इस मुद्दे को ले कर भागलपुर के MLA अजीत शर्मा (कांग्रेस ) ने विधान सभा में स्थगन प्रस्ताव भी लाया जिसे मुख्य विपक्षी दल RJD का समर्थन भी प्राप्त हुआ।
सबसे नयी घटना औरंगाबाद में रामनवमी के दिन हुई , जिसमे रामनवमी के जुलुस को ले जा रहे लोगों ने इल्जाम लगाया की उन पर इस्लामटोली मोहल्ले में पथरबाजी की गई। जवाब में रामनवमी के जुलुस ले जा रहे लोगों ने भी उपद्रव किया और इस्लाम टोली , सब्जी बाजार और महराज गंज में २० दुकानों को जला कर ख़ाक कर दिया। ६ लोगों के घायल होने की सूचना है और एहतियाती कदम उठाते हुए प्रशासन ने ५० लोगों को गिरफ्तार भी किया है। सवाल है की आखिर में इतनी तेजी से बिहार का साम्प्रदायिक माहौल खराब क्यों हो रहा है।